सीआरपीएफ के अनेक जवान नक्सली हमले में मारे गए हैं,हम सब दुखी हैं ,इस हमले की निंदा करते हैं,लेकिन जब सीआरपीएफ के हमले से नक्सली मारे जाते हैं या फिर उन पर बेइंतिहा पुलिस जुल्म होते हैं,झूठे केस लगाकर उनको फंसाया जाता है तब भी हमें तकलीफ होती है।
देश के लिए पुलिस-सेना के जवान जितने महत्वपूर्ण हैं आदिवासी नक्सली भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं,आदिवासियों की हजारों एकड़ जमीन बंदूक की नोंक पर छीनी जाएगी तो वे बंदूक का जवाब फूलों की माला पहनाकर नहीं देंगे।बंदूकें सबके पास हैं।
आदिवासियों की बंदूक की नोक पर बेदखली बंद करो,आदिवासियों को न्याय और सुरक्षा दो,हम भी देखते हैं नक्सल कैसे हमले करते हैं !
नक्सलों को आदिवासियों में हीरो तो भाजपा की गलत नीतियों ने बनाया है,पहले यही काम कांग्रेस कर रही थी।
आदिवासी हों या नक्सल हों या माओवादी हों ,वे सब वैसे ही भारत के नागरिक हैं जैसे सेना-सीआरपीएफ -कारपोरेट घराने आदि।लेकिन भाजपा सरकार के नजरिए में सेना-कारपोरेट घराने-सीआरपीएफ आदि तो प्रिय हैं लेकिन अन्य अप्रिय हैं,शत्रु हैं,उनको न्याय पाने का हक नहीं है।इस तरह एक आंख से यदि सरकार देखेगी और अन्याय करेगी तो आदिवासियों और नक्सलों का प्रतिवाद थमने वाला नहीं है।
नक्सली प्रतिवाद को टीवी पर विजय का डंका बजाकर,फेसबुक पर बटुकसंघ के साइबरसैनिकों से हमला कराके परास्त नहीं किया जा सकता।कम से कम मोदीजी इतना तो जान लो आपसे या रमनजी की सरकार से छत्तीसगढ़ के आदिवासी खुश नहीं हैं,आदिवासियों की संकट की घड़ी में राज्य सरकार को मदद करनी चाहिए लेकिन हो उलटा रहा है,फलतःआदिवासियों की मदद करने का नक्सलों को मौका मिला है।आदिवासियों में नक्सलों का सांगठनिक विस्तार हुआ है,मोदीजी आपकी और रमन सरकार की नक्सलवादियों के बारे में की गयी सभी घोषणाएं झूठी साबित हुई हैं।आपके और रमन सरकार का आदिवासियों पर कोई असर नहीं है,कोई आदिवासी आप पर विश्वास नहीं करता।आदिवासियों का घर उजाड़कर भाजपा-आरएसएस-कारपोर्ट घरानों का घर बसाया नहीं जा सकता।
देश के लिए पुलिस-सेना के जवान जितने महत्वपूर्ण हैं आदिवासी नक्सली भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं,आदिवासियों की हजारों एकड़ जमीन बंदूक की नोंक पर छीनी जाएगी तो वे बंदूक का जवाब फूलों की माला पहनाकर नहीं देंगे।बंदूकें सबके पास हैं।
आदिवासियों की बंदूक की नोक पर बेदखली बंद करो,आदिवासियों को न्याय और सुरक्षा दो,हम भी देखते हैं नक्सल कैसे हमले करते हैं !
नक्सलों को आदिवासियों में हीरो तो भाजपा की गलत नीतियों ने बनाया है,पहले यही काम कांग्रेस कर रही थी।
आदिवासी हों या नक्सल हों या माओवादी हों ,वे सब वैसे ही भारत के नागरिक हैं जैसे सेना-सीआरपीएफ -कारपोरेट घराने आदि।लेकिन भाजपा सरकार के नजरिए में सेना-कारपोरेट घराने-सीआरपीएफ आदि तो प्रिय हैं लेकिन अन्य अप्रिय हैं,शत्रु हैं,उनको न्याय पाने का हक नहीं है।इस तरह एक आंख से यदि सरकार देखेगी और अन्याय करेगी तो आदिवासियों और नक्सलों का प्रतिवाद थमने वाला नहीं है।
नक्सली प्रतिवाद को टीवी पर विजय का डंका बजाकर,फेसबुक पर बटुकसंघ के साइबरसैनिकों से हमला कराके परास्त नहीं किया जा सकता।कम से कम मोदीजी इतना तो जान लो आपसे या रमनजी की सरकार से छत्तीसगढ़ के आदिवासी खुश नहीं हैं,आदिवासियों की संकट की घड़ी में राज्य सरकार को मदद करनी चाहिए लेकिन हो उलटा रहा है,फलतःआदिवासियों की मदद करने का नक्सलों को मौका मिला है।आदिवासियों में नक्सलों का सांगठनिक विस्तार हुआ है,मोदीजी आपकी और रमन सरकार की नक्सलवादियों के बारे में की गयी सभी घोषणाएं झूठी साबित हुई हैं।आपके और रमन सरकार का आदिवासियों पर कोई असर नहीं है,कोई आदिवासी आप पर विश्वास नहीं करता।आदिवासियों का घर उजाड़कर भाजपा-आरएसएस-कारपोर्ट घरानों का घर बसाया नहीं जा सकता।
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