हमें समझना चाहिऐ कि संसार की सभी धार्मिक संस्थाओं का उद्देश्य केवल मानवों को मूर्ख बनाकर, ना सिर्फ उनका शोषण करना बल्कि धर्म व ईश्वर के नाम पर अपनी अन्य राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक महत्वाक्षांओं की पूर्ति भी करना हैं| इसी लिए हर धर्म के ठेकेदार आपका Brain Wash करते हैं ताकि आप धर्म व ईश्वर के नाम पर होने वाले हर गलत काम को भी सही समझ कर चलो| इस प्रकार आपको पता ही नही चलता कि आप कब, धर्म व ईश्वर के नाम पर मानसिक व शारीरिक गुलाम बन चुके हैं|
धर्म व ईश्वर हर व्यक्ति का निजी मामला हैं लेकिन धर्म के ठेकेदार आपका brain wash करके, धर्म को एक सामाजिक मुद्दा बना देते हैं, इससे हर धर्म के ठेकेदार आपका राजनीतिक, आर्थिक, मानसिक व शारीरिक, आपका हर तरह से शोषण करते हैं और आप भी खुशी खुशी अपना शोषण होने देते हैं|
कई लोग तो अपने धर्म व ईश्वर के प्रति इतने कट्टर हो जाते हैं कि वो अपने धर्म व ईश्वर के नाम पर मरने और मारने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं और आज तो हर धर्म के ठेकेदार अपने अपने भक्तों को अधिक से अधिक कट्टरवादी बनाने में लगे हुऐ हैं और इसका दुष्परिणाम पूरी दुनिया भुगत रही हैं|
हिन्दु धर्म भी एक ऐसी ही संस्था हैं जिसका एकमात्र उद्देश्य लोगों को तरह तरह के अंधविश्वासों, मान्यताओं व परम्पराओं के जाल में उलझाकर, उनका शोषण करना हैं|
आप भारत के किसी भी कोने में चले जाइए, हर जगह आपको कोई ना कोई तीर्थस्थान जरूर मिलेगा और उस तीर्थ स्थान के बारे में आपको कोई ना कोई कहानी भी जरूर सुनने को मिलेगी| जैसे-- यहां शिव ने तपस्या की थी, यहां सीता की चूडियां गिरी थी, यहां कृष्ण ने स्नान किया था, यहां पांडवों ने पूजा की थी, यहां ब्रह्मा ने श्राप दिया था, वगैरह वगैरह| सभी देवस्थानों, तीर्थ स्थलों व मंदिरों की यही कहानी हैं|
देश में 12 ज्योतिर्लिंग हैं, चार धाम हैं, और 51 शक्तिपीठ हैं| इन 51 शक्तिपीठों के पीछे ये कथा बताई जाती हैं कि सती के मृतक शरीर के टुकडे भूमि पर गिरे थे, जहां जहां ये टुकडे गिरे वहां शक्तिपीठ की स्थापना हुई| हालांकि सारे टुकडे सिर्फ भारतीय उपमहाद्वीप में ही क्यों गिरे, ये भी सोचने वाली बात हैं| हिन्दु धर्म के बारे में ऐसी एक नही बल्कि हजारों बाते सोचने का विषय हैं पर लोगों की समझ पर आस्था का पर्दा पडा हुआ हैं, जिससे धर्म व देवी देवताओं के बारे में उनकी सोचने समझने की क्षमता बिलकुल ही क्षीण हो चुकी हैं| और यही हाल अन्य सभी धर्मों के लोगों का भी हैं|
दरअसल ये सभी मन्दिर, तीर्थस्थान, सरोवर, धाम वगैरह लोगों को लूटने की शालाएँ हैं| बहुत ही षडयंत्रकारी तरीके से इनका अस्तित्व निर्माण हुआ हैं|
राजा द्वारा जमीन दान में ले ली, या अपनी मर्जी से जहाँ की चाहे जमीन हडप ली, फिर उस पर दान द्वारा भव्य मन्दिर निर्माण करवा दिया, फिर मन्दिर के बारे में झूठा प्रचार करवा दिया, बस हो गया काम! चढावा चढने लगा, भक्त आने लगे और तोता रटत शुरू हो जाती हैं-- ईश्वर शक्तिमान हैं, वो सब देख रहा हैं! संसार तो एक माया हैं, धन दौलत सब यही रह जाना हैं, इस लिए दान करो, ज्यादा से ज्यादा दान करो| (पहले राजाओं के जरिये ये काम होते थे अब सरकार के जरिये ये काम हो रहे हैं)
तब लोग विभिन्न कारणों से दान देना शुरू कर देते हैं और ज्यादा से ज्यादा धन पत्थरों की मूर्तियों को अर्पित करने लगते हैं| अब पत्थर की मूर्ति धन का क्या करेगी, वो सारा धन तो भगवान के दलालों की जेब में ही जाता हैं|
इन मन्दिरों को सदियों से भारतीय समाज को लूट लूट कर भरा गया हैं| आज भी मन्दिरों में अपार धन सम्पत्ति इकट्ठा हैं| तिरूपति बालाजी में 11 टन से भी ज्यादा सोना रखा हुआ हैं| इस मन्दिर की गर्भगृह की दीवारों पर 1000 करोड का सोने का प्लास्टर चढाया गया हैं| साई मन्दिर में हर साल अरबों रूपया चढता हैं| अहमदाबाद के उमियां के मन्दिर में 28/05/09 को केवल 7 घण्टों में 5 करोड का चढावा चढ गया था|
मन्दिरों में इतनी धन सम्पत्ति इकट्ठा हों चुकी हैं कि एक बार में ही देश से गरीबी समाप्त की जा सकती हैं| यहां पर मैंने सभी मन्दिरों की डिटेल नही दी हैं, ये लिस्ट तो बहुत लम्बी हैं|
धर्म के नाम पर हर वर्ष हम अपनी महान नदियों को खोते जा रहे हैं| हर वर्ष मूर्ति विसर्जन व पूजा सामग्रियों के रूप में टनों कूडा कर्कट नदियों में डाला जा रहा हैं| निर्णय अब आपको करना हैं, हम तो केवल आपको जागरूक करने का काम कर सकते हैं|
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Sunday, September 24, 2017
धर्म एक धंधा है
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