Showing posts with label सुषमा स्वराज (विदेश मंत्री). Show all posts
Showing posts with label सुषमा स्वराज (विदेश मंत्री). Show all posts

Saturday, September 23, 2017

भारत के क़द से छोटा था सुषमा का भाषण

सुषमा स्वराज ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के भाषण के बाद संयुक्त राष्ट्र की महासभा में अपना भाषण दिया है. यह स्वाभाविक है कि उन्होंने पाकिस्तान की ओर से भारत पर लगाए गए आरोपों का जवाब दिया है.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अपना भाषण अंग्रेज़ी में दिया था लेकिन सुषमा स्वराज ने भाषण हिंदी में दिया है. इसके मायने ये हैं कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ये संदेश दे रहे थे कि मैं दुनिया से बात करने आया हूं जबकि सुषमा स्वराज ये संदेश दे रही थीं कि मैं भारतीयों से बात करने आई हूं, आप चाहें तो मेरी बात सुनें, चाहे न सुनें.

लेकिन अगर आप दोनों नेताओं के भाषणों को देखें तो ये गली मुहल्ले की बातचीत जैसी थी. ये लोगों को पसंद तो आ सकती है लेकिन इसमें गंभीरता नहीं थी.

राष्ट्रवादियों को पसंद तो आएंगी लेकिन

आज दुनिया में भारत का जो क़द है, सुषमा स्वराज का भाषण उस क़द का नहीं था.

पाकिस्तान की आलोचना करत हुए सुषमा स्वराज ने जो दो-तीन बातें कही हैं, जैसे भारत अब इंजीनियर और डॉक्टर बनाता है और पाकिस्तान आतंकवादी पैदा करता है, वो उनके समर्थकों या भारतीय राष्ट्रवादियों को तो पसंद आएंगी लेकिन ये बातें दुनिया में भारत की अब जो हैसियत है उसके हिसाब से नहीं हैं.
 भारत दुनिया की तीन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है, ब्रिक्स देशों का हिस्सा है और संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता लेने की कोशिश कर रहा है.

सुषमा स्वराज के भाषण में वैश्विक दृष्टिकोण नहीं था या ऐसी कोई बात नहीं थी जो भारत को एक विश्व नेता के तौर पर स्थापित करती हो.

भारत के जो राष्ट्रवादी लोग हैं ये भाषण उनको तो अच्छा लग सकता है लेकिन इससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर कोई असर नहीं होगा.
अगर भारत अपनी ओर से कोई ऐसा कार्यक्रम या रणनीति पेश करता जो चरमपंथ या जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए हो तो ज़रूर भारत का क़द बढ़ता.
आज दुनिया में अमरीका का रुतबा कम हो रहा है. राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप जिस तरह अमरीका की साख ख़त्म कर रहे हैं उसकी वजह से वैश्विक नेतृत्व की जगह खाली हो रही है और भारत उस खाली जगह को भर सकता है.

वैश्विक नेतृत्व कर सकता है भारत

यदि भारत उस खाली हो रही जगह का फ़ायदा नहीं उठाएगा तो चीन से बहुत पीछे रह जाएगा.

इसे इस तरह समझा जा सकता है कि जब तक आप काउंटी क्रिकेट खेलते रहेंगे आपको अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में स्थान नहीं मिलेगा. भारत को अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी साख बनानी है तो पाकिस्तान के साथ उपमहाद्वीप की काउंटी क्रिकेट छोड़नी होगी.

अगर भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना क़द बढ़ाना चाहता है तो वह चीन, रूस, मध्य पूर्व, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक आर्थिक असमानता जैसे वैश्विक मुद्दों पर ऐसा रवैया अख़्तियार करे, जैसा दूसरे देश चाहते हैं कि अमरीका, ब्रिटेन या जापान का हो.

ऐसा करने से भारत का क़द बढ़ेगा लेकिन अगर भारत हर अंतरराष्ट्रीय फोरम पर पाकिस्तान पर ही निशाना साधता रहेगा तो इसका भारत में घरेलू स्तर पर तो असर होगा लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को कोई फ़ायदा नहीं होगा.